DA Arrears Update – काफी लंबे समय से केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स एक ही सवाल के जवाब का इंतजार कर रहे थे – “क्या हमें 18 महीने का बकाया महंगाई भत्ता (DA) मिलेगा?” लेकिन अब सरकार ने इस सवाल पर साफ-साफ और सख्त जवाब दे दिया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में ऐलान किया है कि 18 महीने का डीए बकाया अब नहीं दिया जाएगा। जी हां, यही वो फैसला है जिसने लाखों कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
अब आइए जानते हैं पूरे मामले की तह तक – क्या है ये 18 महीने का बकाया, क्यों रोका गया था, किस तरह की उम्मीदें बंधीं थीं और अब आगे क्या रास्ता बचता है।
क्या है 18 महीने का डीए बकाया?
कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने मार्च 2020 में एक अहम फैसला लिया था। वित्तीय हालात को देखते हुए 1 जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक (यानी पूरे 18 महीने) के लिए डीए और डीआर पर रोक लगा दी गई थी। इसका मतलब ये हुआ कि इन 18 महीनों के दौरान कर्मचारियों को महंगाई भत्ते में जो भी बढ़ोतरी मिलनी चाहिए थी, वो नहीं दी गई।
बात यहीं खत्म नहीं हुई – जब जुलाई 2021 से डीए दोबारा शुरू किया गया, तब भी उस रुके हुए बकाये की भरपाई नहीं की गई। और अब सरकार ने साफ कह दिया है – “उस बकाये की उम्मीद छोड़ दीजिए”।
संसद में क्या हुआ?
3 फरवरी को लोकसभा में सांसद अनंदमणि ने सरकार से सीधे तौर पर पूछा कि कब 18 महीने का बकाया डीए और डीआर दिया जाएगा। इसके जवाब में पंकज चौधरी ने दो टूक कहा – “यह राशि अब जारी नहीं की जाएगी।” उन्होंने ये भी बताया कि कोविड के वक्त वित्तीय दबाव बहुत ज्यादा था, और सरकार को अन्य जरूरी योजनाओं पर खर्च करना पड़ा, इसलिए ये फैसला जरूरी था।
कितनी बड़ी रकम रोकी गई थी?
सरकार के इस फैसले से करीब 34,402 करोड़ रुपये का खर्च बचा था। यहीं से विवाद शुरू हुआ। कर्मचारी संगठनों ने कहा – जब अब देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है, टैक्स कलेक्शन भी रिकॉर्ड पर है, तब भी ये पैसा क्यों नहीं दिया जा रहा?
कर्मचारी संगठन क्या कह रहे हैं?
एनसीजेसीएम (नेशनल काउंसिल JCM) और अन्य कर्मचारी संगठन लगातार सरकार पर दबाव बना रहे थे। उन्होंने कहा था कि अगर एकमुश्त बकाया देना मुश्किल है, तो इसे किस्तों में दे दिया जाए। इसके अलावा, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें बकाया भुगतान ब्याज सहित करने की बात कही गई थी।
लेकिन अब जब सरकार ने सीधा इनकार कर दिया है, तो कर्मचारी संगठन गुस्से में हैं। कई संगठनों ने ये मुद्दा कोर्ट में ले जाने की बात भी कही है।
बजट 2025 से उम्मीद थी… पर फिर झटका मिला
कर्मचारियों को ये भी उम्मीद थी कि आम बजट 2025 में सरकार कोई राहत जरूर देगी। शायद किसी फेज में बकाया देने का ऐलान हो जाए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बजट पूरी तरह से इस मुद्दे पर खामोश रहा और कर्मचारियों की मायूसी और बढ़ गई।
अब उम्मीदें आठवें वेतन आयोग से
अब कर्मचारी संगठनों ने नजरें 8वें वेतन आयोग पर टिका दी हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही नए वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर सकती है। उम्मीद की जा रही है कि नया वेतन आयोग 2026 से लागू हो सकता है और इसमें कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और ग्रेच्युटी में कई बड़े बदलाव हो सकते हैं।
कुछ जानकारों का मानना है कि सरकार 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के ज़रिए कर्मचारियों को “नया बोनस पैकेज” दे सकती है ताकि 18 महीने के बकाये की नाराज़गी को थोड़ा कम किया जा सके।
कितने लोग हुए प्रभावित?
सरकार के इस फैसले का असर करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 60 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ा है। यानी कुल मिलाकर 1.1 करोड़ से ज्यादा लोग इस फैसले से प्रभावित हुए हैं। इनमें से बहुत से कर्मचारियों का कहना है कि महंगाई की मार के इस दौर में अगर बकाया मिल जाता तो बड़ी राहत मिलती।
आगे क्या हो सकता है?
अब दो ही रास्ते बचे हैं –
- कर्मचारी संगठन कोर्ट का रुख करें।
- सरकार के साथ दोबारा बातचीत के जरिए कोई बीच का रास्ता निकले।
हालांकि, फिलहाल तो सरकार अपने फैसले पर अडिग नजर आ रही है।
18 महीने का डीए बकाया अब इतिहास बन गया है। सरकार की ओर से जो फैसला आया है, वो भले ही तर्कों से भरा हो, लेकिन लाखों कर्मचारियों के लिए यह निराशाजनक है। अब उम्मीदें सिर्फ 8वें वेतन आयोग से बची हैं, और कर्मचारी संगठनों की रणनीति ही तय करेगी कि आगे क्या कुछ निकलकर आता है।
आपका क्या मानना है? क्या सरकार को बकाया डीए देना चाहिए था या नहीं? या क्या 8वें वेतन आयोग से इसकी भरपाई हो पाएगी?