Gas Cylinder News – अगर आप एलपीजी गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं और हर महीने इसकी होम डिलीवरी पर निर्भर रहते हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। आने वाले समय में गैस सिलेंडर की होम डिलीवरी रुक सकती है और आपको खुद एजेंसी जाकर सिलेंडर लेना पड़ सकता है। वजह है एलपीजी वितरकों की बड़ी हड़ताल की चेतावनी जो उन्होंने हाल ही में आयोजित अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में दी है।
क्यों नाराज़ हैं गैस एजेंसी वाले
अधिवेशन में देशभर से आए गैस वितरकों ने सरकार को साफ शब्दों में कहा है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो तीन महीने बाद वे राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर चले जाएंगे। एलपीजी वितरकों की सबसे बड़ी मांग है कि उन्हें मिलने वाले कमीशन में बढ़ोतरी की जाए। उनका कहना है कि मौजूदा कमीशन बहुत ही कम है और इससे उनका खर्च भी नहीं निकल रहा है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष बी एस शर्मा ने कहा कि वितरकों को कई स्तरों पर आर्थिक दबाव झेलना पड़ रहा है। डीजल के दाम बढ़े हैं, कर्मचारियों की सैलरी भी बढ़ी है, लेकिन कमीशन वही पुराना है। ऐसे में गैस एजेंसी चलाना मुश्किल होता जा रहा है। अगर सरकार उनकी बातें नहीं सुनती है तो वे मजबूर होकर काम रोक देंगे।
गैस सिलेंडर की कीमतों में भी उछाल
इस हड़ताल की चर्चा के बीच एक और झटका आम लोगों को तब लगा जब एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी की खबर आई। दिल्ली में घरेलू सिलेंडर की कीमत 803 रुपये से बढ़कर अब 853 रुपये हो चुकी है। कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में भी कीमतें इसी तरह बढ़ी हैं। यह बढ़ोतरी आम आदमी की जेब पर सीधा असर डालने वाली है, खासकर तब जब पहले से ही हर चीज़ महंगी होती जा रही है।
महंगाई की मार और अब हड़ताल का खतरा
एक तरफ सिलेंडर के दाम बढ़ रहे हैं और दूसरी तरफ होम डिलीवरी पर हड़ताल का खतरा मंडरा रहा है। आम जनता के लिए यह दोहरी मार है। खासकर उन परिवारों के लिए जो उज्ज्वला योजना के तहत रियायती सिलेंडर लेते हैं या फिर ग्रामीण इलाकों में रहते हैं जहां एजेंसी तक पहुंचना आसान नहीं होता। अगर होम डिलीवरी बंद हो गई तो कई परिवारों को खाना पकाने के लिए काफी परेशानी हो सकती है।
उज्ज्वला योजना के तहत आ रही हैं दिक्कतें
गैस वितरकों का यह भी कहना है कि उज्ज्वला योजना के अंतर्गत उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सरकार की तरफ से सब्सिडी में देरी होती है और कागजी प्रक्रिया भी काफी पेचीदा हो गई है। कई बार उन्हें समय पर पेमेंट नहीं मिलती जिससे उनका आर्थिक संतुलन बिगड़ जाता है। उनका कहना है कि अगर उज्ज्वला योजना को सफल बनाना है तो इसमें सुधार जरूरी है।
सरकार की जिम्मेदारी क्या बनती है
अब जब स्थिति इतनी गंभीर होती जा रही है तो यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह समय रहते कोई ठोस कदम उठाए। अगर वितरकों की मांगे पूरी की जाती हैं तो न सिर्फ उनका व्यवसाय सुचारू रूप से चलेगा बल्कि आम जनता को भी राहत मिलेगी। सरकार को यह समझना होगा कि अगर तीन महीने बाद हड़ताल होती है तो पूरे देश में एलपीजी आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ेगा और लाखों लोगों को परेशानी झेलनी पड़ेगी।
क्या हो सकता है समाधान
वितरकों ने सरकार से कमीशन में बढ़ोतरी के साथ साथ अन्य मुद्दों पर भी ध्यान देने की मांग की है। वे चाहते हैं कि संचालन लागत को देखते हुए उनका कमीशन दोबारा से तय किया जाए। साथ ही उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों से जुड़े भुगतानों को समय पर जारी किया जाए ताकि वितरकों को घाटा न हो। इसके अलावा होम डिलीवरी के लिए जो खर्च होता है उसकी भरपाई के लिए भी कोई स्थायी समाधान निकाला जाए।
जनता को क्या करना चाहिए
अब सवाल यह है कि आम लोगों को क्या करना चाहिए। सबसे पहले तो घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि हड़ताल अभी घोषित नहीं हुई है बल्कि सिर्फ चेतावनी दी गई है। लेकिन अगर आप एलपीजी गैस पर पूरी तरह निर्भर हैं तो थोड़ा सतर्क रहना जरूरी है। अगला सिलेंडर समय से बुक करें और घर में एक अतिरिक्त सिलेंडर रखने की कोशिश करें ताकि आपात स्थिति में परेशानी न हो।
कुल मिलाकर बात ये है कि देशभर के एलपीजी वितरक अपनी परेशानियों को लेकर अब खुलकर सामने आ गए हैं और उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है। अगर तीन महीने के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो सिलेंडर की होम डिलीवरी बंद हो सकती है और बड़े पैमाने पर हड़ताल हो सकती है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह समय रहते संवाद शुरू करे और कोई स्थायी हल निकाले ताकि आम जनता और वितरकों दोनों को राहत मिल सके। क्योंकि गैस सिलेंडर अब सिर्फ एक जरूरत नहीं बल्कि हर घर की जीवन रेखा बन चुका है।