EPS 95 Pension Latest Update – भारत में बुज़ुर्ग पेंशनर्स का गुस्सा इन दिनों सातवें आसमान पर है। वजह है – EPS-95 योजना के तहत मिलने वाली मासिक पेंशन, जो कि आज भी सिर्फ ₹1000 है। सोचिए, 25–30 साल की नौकरी करने के बाद अगर किसी बुजुर्ग को हर महीने सिर्फ ₹1000 मिले तो क्या वो अपने घर का खर्च चला पाएगा? यही वजह है कि अब देशभर में EPS पेंशनर्स एकजुट होकर सरकार से गुहार नहीं, बल्कि सीधा सवाल कर रहे हैं – “हमारा हक कब मिलेगा?”
EPS-95 पेंशन क्या है?
EPS यानी Employee Pension Scheme की शुरुआत 1995 में हुई थी। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए बनी थी जो प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं और जिनकी तनख्वाह का कुछ हिस्सा हर महीने EPFO के तहत पेंशन फंड में जाता है। रिटायरमेंट के बाद इन कर्मचारियों को हर महीने पेंशन मिलती है, लेकिन मजेदार बात ये है कि आज भी उस पेंशन की न्यूनतम राशि सिर्फ ₹1000 है।
क्या चल रहा है अभी?
मार्च 2025 में नासिक और चेन्नई जैसे शहरों में EPS-95 पेंशनर्स ने जोरदार प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष EPFO कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए और अपनी एक ही मांग दोहराई – “न्यूनतम पेंशन ₹9000 करो।”
नासिक में यह आंदोलन सटपुर क्षेत्र के EPFO कार्यालय के सामने हुआ, जहां पेंशनर्स ने तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। वहीं चेन्नई में भी पेंशनर्स एसोसिएशन ने केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया को ज्ञापन सौंपा और साफ कहा कि EPS पेंशन में सरकारी कर्मचारियों की तुलना में भारी असमानता है।
पेंशनर्स की मुख्य मांगें क्या हैं?
अब सिर्फ ₹9000 की पेंशन की बात नहीं हो रही, पेंशनर्स पूरे सिस्टम को इंसानियत के नजरिए से देखे जाने की बात कर रहे हैं। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
- न्यूनतम पेंशन ₹9000 प्रति माह की जाए
- हर महीने महंगाई भत्ता (DA) दिया जाए
- मुफ्त चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं
- सरकार की कल्याण योजनाओं जैसे राशन कार्ड, आयुष्मान योजना आदि में पेंशनर्स को शामिल किया जाए
क्यों जरूरी है पेंशन बढ़ाना?
अब सोचिए, आज के जमाने में ₹1000 में क्या हो सकता है? शायद बिजली का बिल भी पूरा न हो। और बुजुर्गों के लिए तो सबसे बड़ा खर्च होता है दवाइयों और इलाज का। ऐसे में अगर सरकार ₹9000 की पेंशन दे तो पेंशनर्स को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी।
महंगाई आसमान छू रही है। दूध, दाल, सब्जी, गैस सिलेंडर – हर चीज महंगी होती जा रही है। लेकिन EPS-95 की पेंशन पिछले 10 साल से वहीं की वहीं है। ऐसे में यह मांग पूरी तरह से जायज़ है।
सरकार क्या कह रही है?
कुछ समय पहले श्रम मंत्रालय ने एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें न्यूनतम पेंशन को ₹2000 तक करने की बात थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने उसे खारिज कर दिया। अब केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
मतलब ये कि सरकार सोच रही है, लेकिन कब तक सोचेगी, ये कोई नहीं जानता।
EPS बनाम UPS – फर्क साफ है
सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली UPS (Unified Pension Scheme) के तहत उन्हें ₹10000 तक की पेंशन और महंगाई भत्ता भी मिलता है। वहीं EPS-95 पेंशनर्स को सिर्फ ₹1000 की पेंशन, वो भी बिना DA के मिलती है।
- UPS पेंशन: ₹10000 या उससे ज्यादा
- EPS पेंशन: ₹1000 (मांग ₹9000)
- UPS में महंगाई भत्ता हर छह महीने में बढ़ता है
- EPS में किसी भी तरह का DA नहीं है
क्या असर पड़ेगा अगर ₹9000 पेंशन लागू हुई?
अगर सरकार यह मांग मान लेती है तो करीब 80 लाख पेंशनर्स को इसका सीधा फायदा मिलेगा। गरीब और मध्यम वर्ग के बुजुर्गों का जीवनस्तर सुधरेगा और उन्हें दूसरे पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। पर इसके लिए EPFO को ज्यादा फंड की जरूरत पड़ेगी, जिसमें सरकार और कंपनियों का योगदान भी बढ़ाना होगा।
EPS-95 पेंशनर्स की लड़ाई कोई नई नहीं है। पिछले कई सालों से ये मांग उठ रही है, लेकिन अब जिस तरह देशभर में प्रदर्शन तेज हुए हैं, उससे लगता है कि सरकार को अब कोई ठोस फैसला लेना ही पड़ेगा। ₹9000 की पेंशन कोई मांग नहीं, बुजुर्गों का हक है। जिन्होंने अपनी जवानी देश के निर्माण में लगा दी, उनका बुढ़ापा तो सम्मान के साथ गुजरे।
अब देखना ये होगा कि सरकार कब तक इस पर कार्रवाई करती है। लेकिन एक बात तय है – EPS पेंशनर्स की आवाज अब दबने वाली नहीं।