DA New Update – सरकार ने हाल ही में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक नया DA यानी महंगाई भत्ता फॉर्मूला लागू किया है जिससे हर सरकारी कर्मचारी और रिटायर्ड पेंशनर को सीधा लाभ मिलने वाला है। जो लोग लंबे समय से महंगाई और खर्चे बढ़ने की शिकायत कर रहे थे, उनके लिए यह कदम राहत की हवा की तरह है।
AICPI इंडेक्स पर आधारित है नया फॉर्मूला
महंगाई भत्ते में वृद्धि के लिए अब सरकार जनवरी से मई और फिर जुलाई से दिसंबर तक के ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी AICPI के आंकड़ों का इस्तेमाल करेगी। इस फॉर्मूले के तहत जो महंगाई दर निकलती है उसी के हिसाब से हर छह महीने में महंगाई भत्ता बढ़ाने का निर्णय लिया जाएगा। यह फॉर्मूला ज्यादा पारदर्शी है और इससे कर्मचारियों को समय पर महंगाई भत्ते का लाभ मिलेगा।
गणेश चतुर्थी पर मिलेगा तोहफा
सरकार ने संकेत दिया है कि आगामी गणेश चतुर्थी के आसपास यानी सितंबर 2025 तक कर्मचारियों को महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी मिल सकती है। इससे मौजूदा 53 प्रतिशत का डीए बढ़कर 57 प्रतिशत हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह बढ़ोतरी लगभग 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन पर सीधा असर डालेगी।
2023 में हुआ था बड़ा बदलाव
साल 2016 के बाद 2023 में श्रम मंत्रालय ने महंगाई भत्ते की गणना करने के तरीकों में बड़ा बदलाव किया था। पहले जहां 1963-65 को आधार वर्ष मानकर वेज रेट इंडेक्स तैयार होता था वहीं अब इसे अपडेट करके 2016 को आधार वर्ष बनाया गया है। इससे आंकड़ों की सटीकता बढ़ी है और कर्मचारियों को महंगाई के अनुसार बेहतर समायोजन मिल रहा है।
DA में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी तय मानी जा रही है
AICPI के अब तक के आंकड़ों को देखें तो यह लगभग तय है कि इस बार भी महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। यानी अगर जुलाई में घोषणा होती है तो डीए 57 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। यह न सिर्फ मौजूदा कर्मचारियों को फायदा देगा बल्कि पेंशनभोगियों को भी अच्छी राहत मिलेगी।
महंगाई भत्ते की सीधी गूंज पेंशन पर
जो लोग रिटायर हो चुके हैं और हर महीने पेंशन पर निर्भर हैं उनके लिए डीए की हर बढ़ोतरी बहुत मायने रखती है। क्योंकि पेंशन की गणना भी मूल वेतन और महंगाई भत्ते को ध्यान में रखकर की जाती है। डीए बढ़ने से उन्हें भी ज्यादा पेंशन मिलेगी जिससे बढ़ती महंगाई से लड़ना आसान होगा।
त्योहारी सीजन में आर्थिक संबल
सरकार हर बार त्योहारी सीजन से पहले डीए बढ़ाने की घोषणा करती है ताकि कर्मचारियों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा रहे। इससे बाजार में मांग भी बढ़ती है और अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलती है। इस बार भी रक्षाबंधन से पहले डीए वृद्धि की घोषणा की उम्मीद की जा रही है जिससे कर्मचारियों को सीधा लाभ होगा।
DA बढ़ाने से सरकार पर कितना खर्च आएगा
हर बार डीए बढ़ाने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ पड़ता है लेकिन इसके बावजूद सरकार यह फैसला इसलिए लेती है ताकि कर्मचारियों को संतुष्ट रखा जा सके। अनुमान के मुताबिक हर एक प्रतिशत डीए बढ़ने से सरकार पर करीब 6200 करोड़ रुपये का सालाना खर्च बढ़ता है। लेकिन यह खर्च अर्थव्यवस्था में वापस आ जाता है क्योंकि कर्मचारी उस पैसे को खर्च करते हैं जिससे बाजार में पैसा घूमता है।
DA बढ़ेगा लेकिन मूल वेतन में नहीं जुड़ेगा
कई लोगों को यह उम्मीद थी कि जब डीए 50 प्रतिशत को पार कर गया है तो अब इसे मूल वेतन में जोड़ दिया जाएगा। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसा कोई फैसला अभी नहीं लिया गया है। यानी महंगाई भत्ता अलग ही रहेगा और इसका मूल वेतन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
7वें वेतन आयोग में इस पर कोई सिफारिश नहीं
अगर हम वेतन आयोगों के इतिहास की बात करें तो सिर्फ 5वें वेतन आयोग में यह सिफारिश की गई थी कि जब डीए 50 प्रतिशत से ज्यादा हो जाए तो उसे मूल वेतन में जोड़ देना चाहिए। लेकिन 6वें और 7वें वेतन आयोग में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया है। इसलिए सरकार की मौजूदा नीति यही है कि डीए अलग ही रहेगा।
भविष्य में क्या हो सकता है
हालांकि फिलहाल सरकार का रुख डीए को मूल वेतन में न जोड़ने का है लेकिन यह स्थिति हमेशा ऐसी रहेगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता। आने वाले समय में अगला वेतन आयोग यानी 8वां वेतन आयोग जब बनेगा तब इस मुद्दे पर फिर से विचार किया जा सकता है।
सरकार की कर्मचारी-हितैषी नीति को मिला समर्थन
विशेषज्ञों का भी मानना है कि सरकार का यह कदम व्यावहारिक है और इससे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को फायदा होगा। इंडस्ट्री विशेषज्ञों ने भी कहा है कि सरकार का DA सिस्टम पारदर्शी हो गया है और यह मौजूदा महंगाई की स्थिति को ध्यान में रखता है।
कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि नया DA फॉर्मूला लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अच्छी खबरें आनी तय हैं। आने वाले दिनों में महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी एक तरह से आर्थिक राहत बनकर आएगी। हालांकि डीए को मूल वेतन में शामिल करने की मांग अभी टली हुई लगती है लेकिन भविष्य में इस पर पुनर्विचार हो सकता है।