RBI Guidelines for Cheque Bounce – भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने हाल ही में चेक बाउंस से जुड़े मामलों में एक बड़ा और राहत भरा बदलाव किया है। पहले जहां चेक बाउंस होते ही जेल का डर बना रहता था, अब नई गाइडलाइंस के बाद हालात थोड़े आसान हो गए हैं। खासकर छोटे व्यापारियों और आम लोगों के लिए यह एक बड़ी राहत मानी जा रही है।
अब बात करें इस बदलाव की, तो पहले चेक बाउंस होना यानी मानसिक तनाव, कोर्ट-कचहरी के चक्कर और जेल तक की नौबत। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आरबीआई ने कहा है कि अगर चेक बाउंस होता है, तो आरोपी को पहले एक नोटिस भेजा जाएगा और उसे रकम चुकाने का मौका मिलेगा। अगर तय समय में भुगतान कर दिया जाता है, तो मामला वहीं खत्म हो जाएगा।
पहले क्या होता था?
पहले की व्यवस्था कुछ इस तरह थी कि अगर किसी का चेक बाउंस हो जाता था, तो बैंक उस व्यक्ति को नोटिस देता था। अगर समय पर पैसे नहीं दिए गए, तो मामला सीधे कोर्ट में पहुंचता था। कोर्ट में मामला जाने के बाद, आरोपी को दोषी साबित होने पर जेल की सजा भी हो सकती थी।
यह पूरी प्रक्रिया न सिर्फ लंबी थी बल्कि इसमें वक्त और पैसा दोनों की बर्बादी होती थी। कई बार मामूली गलती या बैंक में कुछ समय के लिए बैलेंस न होने पर भी लोग कानूनी झमेले में फंस जाते थे।
अब क्या बदला है?
आरबीआई की नई गाइडलाइंस के तहत अब चेक बाउंस के मामलों में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। अब किसी को सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा। इसके बदले एक तय प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
आइए समझते हैं बदलाव को
- नोटिस पहले: चेक बाउंस होने पर सबसे पहले आरोपी को नोटिस भेजा जाएगा।
- समय मिलेगा: नोटिस मिलने के बाद आरोपी को पैसे लौटाने के लिए एक तय समय मिलेगा।
- जेल की नौबत नहीं: जब तक आरोपी भुगतान के लिए तैयार है या उसकी माली हालत खराब है, तब तक उसे जेल भेजना जरूरी नहीं होगा।
- कोर्ट की प्रक्रिया बाद में: अगर तय समय के भीतर पैसे नहीं लौटाए जाते, तभी केस कोर्ट में जाएगा।
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
आज के समय में व्यापार में चेक से लेनदेन बहुत आम बात है। कई बार कोई तकनीकी कारण या बैंकिंग गलती की वजह से चेक बाउंस हो सकता है। लेकिन ऐसे मामूली मामलों में किसी को सीधे जेल भेजना काफी कठोर कदम था। खासकर छोटे व्यापारी, सेल्फ-एम्प्लॉयड लोग या मध्यम वर्गीय लोग ऐसे मामलों में बुरी तरह फंस जाते थे।
आरबीआई का यह फैसला ऐसे लोगों को राहत देगा, जो जानबूझकर धोखाधड़ी नहीं करते लेकिन किसी वजह से चेक क्लीयर नहीं हो पाता।
इसका क्या फायदा होगा?
- व्यापार में भरोसा बढ़ेगा: व्यापारी अब थोड़े निश्चिंत होकर चेक से लेन-देन कर सकेंगे।
- कानूनी बोझ घटेगा: कोर्ट में ऐसे मामलों की संख्या कम होगी, जिससे समय और संसाधन दोनों की बचत होगी।
- गलती पर सुधार का मौका: गलती होने पर आरोपी को अब खुद को सुधारने का मौका मिलेगा।
- सामान्य लोगों को राहत: अब छोटे लेन-देन में गलती हो जाने पर जेल का डर नहीं रहेगा।
उदाहरण से समझें
मान लीजिए किसी दुकान वाले ने ग्राहक से भुगतान के लिए चेक लिया और वह चेक बाउंस हो गया। अब पहले की तरह तुरंत केस दर्ज नहीं होगा। ग्राहक को पहले नोटिस मिलेगा और उससे पैसे लौटाने के लिए कहा जाएगा। अगर वह तय समय में पैसे लौटा देता है, तो बात वहीं खत्म हो जाएगी। कोर्ट-कचहरी की नौबत नहीं आएगी।
आरबीआई का यह फैसला एक सकारात्मक कदम है। इससे न सिर्फ व्यापार करने वालों को राहत मिलेगी, बल्कि आम लोगों को भी मानसिक शांति मिलेगी कि चेक बाउंस होने पर तुरंत जेल नहीं होगी। हां, इसका मतलब यह नहीं कि लोग गैर-जिम्मेदार हो जाएं। नियम अब भी हैं, लेकिन इंसाफ की प्रक्रिया अब थोड़ी मानवीय हो गई है।
इस बदलाव से उम्मीद की जा रही है कि अब लोग ज्यादा जिम्मेदारी से चेक का इस्तेमाल करेंगे और छोटे मुद्दों को बड़ी कानूनी लड़ाई बनने से रोका जा सकेगा।