DA Arrears News – केंद्रीय कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में हुई बढ़ोतरी का हर छह महीने में संशोधन किया जाता है, जिससे यह हर साल दो बार बढ़ता है। हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने 18 महीने तक डीए की वृद्धि रोक दी थी। इस निर्णय के बाद से कर्मचारियों में बकाया डीए को लेकर निरंतर चर्चाएं होती रही हैं और कर्मचारियों ने बार-बार इस राशि को जारी करने की मांग की है।
अब, वित्त मंत्रालय की ओर से इस मामले पर लिखित जवाब दिया गया है, जिसमें सरकार ने स्पष्ट किया है कि बकाया डीए का भुगतान अब संभव नहीं होगा। यह फैसला कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि उनके लिए यह एक लंबे समय से चल रही समस्या का हल नहीं निकला है।
कोरोना काल में क्यों रुका था डीए का भुगतान?
जब 2020 में कोरोना महामारी ने पूरे देश को प्रभावित किया, तो सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति को संभालने के लिए कई कठोर कदम उठाने पड़े। महामारी के कारण देशभर की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ा और सरकार को स्वास्थ्य और बचाव के कार्यों के लिए बड़ी मात्रा में पैसा खर्च करना पड़ा। ऐसे में, सरकार ने यह निर्णय लिया कि डीए का भुगतान अगले कुछ समय के लिए रोक दिया जाएगा, ताकि अन्य आवश्यक कार्यों में पैसे का सही तरीके से उपयोग किया जा सके।
18 महीने के बकाया DA को लेकर सरकार का रुख
सरकार ने इस समय के दौरान कर्मचारियों और पेंशनर्स को डीए का भुगतान नहीं किया, जिससे उन्हें आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा। कर्मचारी संगठन और राज्यसभा सदस्य इस मुद्दे को बार-बार उठाते रहे हैं। उन्होंने सरकार से सवाल किया था कि जब सरकार ने डीए को रोक दिया था, तो वह अब इसे कब तक जारी करेगी और क्या इसके भुगतान के लिए कोई योजना बनाई गई है।
इस पर सरकार का स्पष्ट जवाब आया है कि फिलहाल 18 महीने के बकाया डीए का भुगतान नहीं किया जाएगा। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इस पर लिखित में जवाब दिया है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण हुई वित्तीय स्थिति के चलते डीए का भुगतान रोकना पड़ा था। अब इस राशि को देने की कोई योजना नहीं है।
कर्मचारियों की उम्मीदें और निराशा
कर्मचारियों के बीच यह मुद्दा लगातार चर्चा का विषय बना हुआ था। महामारी के बाद सरकार के तीसरे कार्यकाल में कई कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार अब बकाया डीए को जारी करने का निर्णय ले सकती है, लेकिन इस बार सरकार ने एक बार फिर इसे मना कर दिया। इस जवाब के बाद कर्मचारियों में निराशा का माहौल देखा जा रहा है, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि सरकार इस मामले में कुछ सकारात्मक कदम उठाएगी।
क्या सरकार को डीए के बकाए का भुगतान करना चाहिए था?
यह सवाल कर्मचारियों के बीच एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। कई कर्मचारी संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सरकार को कम से कम कोरोना के दौरान रोके गए डीए का भुगतान करना चाहिए था। उनका कहना है कि जिस समय महामारी के कारण सरकार ने डीए रोकने का फैसला लिया था, उस समय कर्मचारियों के वेतन में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई थी, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर असर पड़ा। ऐसे में, बकाया डीए का भुगतान कर्मचारियों के लिए एक राहत की बात हो सकती थी।
हालांकि, सरकार का तर्क यह है कि आर्थिक संकट के चलते यह कदम उठाना जरूरी था। सरकार के अनुसार, जब देश में स्वास्थ्य संकट गहरा रहा था और राहत कार्यों के लिए संसाधनों की जरूरत थी, तो कर्मचारियों को इस समय के लिए बकाया डीए से ज्यादा जरूरी खर्चों के लिए पैसा आवंटित करना आवश्यक था।
आने वाले समय में क्या हो सकता है?
कर्मचारियों के लिए यह मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है। वे सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले समय में इस पर कोई पुनः विचार किया जाएगा और कुछ समाधान निकाला जाएगा। कर्मचारी संगठनों ने यह भी कहा है कि इस मामले को संसद में उठाया जाएगा और अगर सरकार ने इस पर पुनः विचार नहीं किया, तो वे विरोध प्रदर्शन भी कर सकते हैं।
इसके अलावा, यह देखा जाना बाकी है कि क्या आगामी वित्तीय वर्ष में सरकार कर्मचारियों के लिए किसी प्रकार का राहत पैकेज पेश करती है या फिर इस दिशा में कोई नए निर्णय लिए जाते हैं।
केंद्रीय कर्मचारियों के 18 महीने के बकाया डीए पर सरकार का जवाब स्पष्ट और सीधा था, लेकिन यह कर्मचारियों के लिए राहत की बात नहीं थी। महामारी के दौरान हुए आर्थिक संकट के चलते सरकार ने डीए का भुगतान रोकने का फैसला किया था, और अब वह इसे वापस देने के पक्ष में नहीं है। हालांकि, कर्मचारियों और उनके संगठनों की उम्मीदें अब भी बनी हुई हैं कि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी और भविष्य में इस पर कोई फैसला ले सकती है। इस मुद्दे पर सरकार की अंतिम प्रतिक्रिया आने वाले समय में निश्चित रूप से कर्मचारियों के जीवन पर असर डालेगी।