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केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बुरी खबर! DA और DR होंगे शून्य, सरकार का बड़ा फैसला – DA DR News

DA DR News – अगर आप भी केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं या रिटायर्ड हो चुके पेंशनर हैं, तो आपके लिए यह खबर बेहद जरूरी है। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 8वें वेतन आयोग में महंगाई भत्ता यानी डीए और महंगाई राहत यानी डीआर को शून्य करने का प्रस्ताव सामने आया है। यह खबर सुनते ही लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स में हलचल मच गई है क्योंकि इसका सीधा असर उनकी मासिक आय पर पड़ सकता है।

लेकिन आखिर यह प्रस्ताव है क्या, इसका मतलब क्या होगा और क्या वाकई इससे नुकसान होगा या फायदा मिलेगा, आइए एक नजर डालते हैं इस पूरे मुद्दे पर विस्तार से।

DA और DR आखिर है क्या और क्यों दिए जाते हैं

डीए यानी महंगाई भत्ता केंद्र सरकार के कर्मचारियों को दिया जाने वाला एक अतिरिक्त भत्ता होता है। यह इसलिए दिया जाता है ताकि बढ़ती महंगाई के बीच उनकी आमदनी स्थिर न रहे और वे अपने खर्चों को आसानी से मैनेज कर सकें। इसी तरह डीआर यानी महंगाई राहत पेंशन पाने वाले रिटायर्ड कर्मचारियों को दी जाती है।

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हर साल दो बार जनवरी और जुलाई में डीए और डीआर में संशोधन किया जाता है। इसकी गणना AICPI यानी अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर होती है। अगर महंगाई ज्यादा होती है तो डीए में इजाफा किया जाता है और अगर महंगाई घटती है तो डीए कम भी हो सकता है या फिर स्थिर भी रह सकता है।

8वें वेतन आयोग में DA और DR शून्य करने की बात क्यों उठी

दरअसल सरकार के पास एक प्रस्ताव विचाराधीन है जिसमें कहा गया है कि 8वें वेतन आयोग के लागू होते समय तक जो भी डीए और डीआर की दर होगी, उसे बेसिक सैलरी में ही जोड़ दिया जाएगा। इसका मतलब यह नहीं कि कर्मचारियों को डीए नहीं मिलेगा, बल्कि उसे मूल वेतन में शामिल कर दिया जाएगा और नए वेतन ढांचे में डीए दोबारा शून्य से शुरू होगा।

यह प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही होगी जैसी पांचवें वेतन आयोग में अपनाई गई थी। उस वक्त जब डीए की दर 50 प्रतिशत से ज्यादा हो गई थी तो उसे बेसिक में जोड़ दिया गया था। उसके बाद डीए दोबारा शून्य से शुरू हुआ था।

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क्या इससे कर्मचारियों की सैलरी कम हो जाएगी

नहीं बिल्कुल नहीं। डीए और डीआर को बेसिक में शामिल करने से उल्टा फायदा ही होता है। इससे आपकी नई बेसिक सैलरी बढ़ जाएगी और उसी के आधार पर अन्य भत्ते जैसे एचआरए, ट्रैवल अलाउंस आदि में भी बढ़ोतरी हो जाएगी। इससे आपकी कुल सैलरी में इजाफा ही होगा।

साथ ही जब अगली बार डीए की गणना होगी तो वो नये बेसिक के आधार पर होगी जिससे उसकी रकम भी ज्यादा हो सकती है। यानी सरकार यदि डीए शून्य भी करती है तो वह आपकी जेब से पैसा नहीं छीन रही बल्कि उसे बेसिक का हिस्सा बना रही है।

सातवें वेतन आयोग में ऐसा क्यों नहीं हुआ

सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर के आधार पर वेतन तय किया गया था और डीए को बेसिक में जोड़ने की कोई व्यवस्था नहीं थी। लेकिन अब चर्चा है कि आठवें वेतन आयोग में फिर से पुराने फॉर्मूले को अपनाया जा सकता है ताकि वेतन ढांचा और अधिक स्थिर और पारदर्शी हो।

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क्या है फिटमेंट फैक्टर और इसका क्या असर होता है

फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक होता है जिससे पुराने बेसिक वेतन को गुणा करके नया बेसिक वेतन निकाला जाता है। सातवें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 रखा गया था। यदि सरकार आठवें वेतन आयोग में डीए को बेसिक में जोड़ती है तो यह फिटमेंट फैक्टर भी बढ़ सकता है जिससे कर्मचारियों को बड़ा फायदा होगा।

हरियाणा सहित राज्य सरकारों पर भी असर पड़ेगा

केंद्र सरकार के फैसले का असर राज्यों पर भी पड़ता है। उदाहरण के तौर पर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्य आमतौर पर केंद्र के डीए और वेतन आयोग से जुड़े फैसलों का अनुसरण करते हैं। अगर केंद्र ने 8वें वेतन आयोग में डीए को बेसिक में जोड़ने का फैसला लिया तो राज्य सरकारें भी ऐसा ही कर सकती हैं।

बकाया डीए एरियर पर क्या चल रहा है अपडेट

एक और बड़ी खबर जो सामने आई है वह है 18 महीने के डीए एरियर की। कई कर्मचारी संगठनों की लंबे समय से यह मांग रही है कि कोविड काल में रोके गए डीए का बकाया भुगतान किया जाए। अब ऐसी अटकलें हैं कि होली या दिवाली जैसे बड़े मौकों पर सरकार कर्मचारियों को खुशखबरी दे सकती है। अगर 8वें वेतन आयोग में डीए को शून्य किया जाता है तो भविष्य में ऐसे एरियर मिलने की संभावना कम हो सकती है।

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कर्मचारी अभी क्या करें

सरकार ने अभी तक आधिकारिक तौर पर यह नहीं कहा है कि 8वें वेतन आयोग में डीए को शून्य किया जाएगा। यह सिर्फ एक प्रस्ताव है जिस पर विचार हो रहा है। इसलिए फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन हां, भविष्य की तैयारी के लिए अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में थोड़ा बदलाव करना जरूरी हो सकता है।

आप अपने इन्वेस्टमेंट्स और सेविंग्स पर फोकस करें। खासकर अगर आप रिटायरमेंट की ओर बढ़ रहे हैं तो पेंशन प्लान्स, वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाओं, पीएफ और एनपीएस जैसे विकल्पों को लेकर सजग रहें।

आने वाले समय में 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें कर्मचारियों के वेतन ढांचे में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। डीए और डीआर को लेकर जो भी कदम उठाए जाएंगे, उनका उद्देश्य आमदनी में स्थिरता और पारदर्शिता लाना होगा। अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया तो कर्मचारियों को लंबी अवधि में फायदा ही मिलेगा।

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इसलिए अफवाहों से दूर रहें और केवल सरकार की आधिकारिक घोषणाओं पर ध्यान दें। बदलाव के लिए तैयार रहना ही समझदारी होगी।

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