EPFO News – अगर आप एक सैलरीड कर्मचारी हैं और हर महीने आपकी बेसिक सैलरी करीब 25 हजार रुपये है, तो यह खबर आपके लिए बहुत काम की है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे EPFO यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की स्कीम में जुड़कर आप रिटायरमेंट तक लाखों रुपये का फंड जमा कर सकते हैं। अगर आप 30 साल की उम्र में नौकरी शुरू करते हैं और 58 साल की उम्र में रिटायर होते हैं, तो यह स्कीम आपके लिए जबरदस्त साबित हो सकती है।
EPF क्या है और कैसे काम करता है
EPF यानी कर्मचारी भविष्य निधि एक सरकारी स्कीम है जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों हर महीने एक तय रकम जमा करते हैं। यह रकम आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12 प्रतिशत होती है। इसी तरह नियोक्ता भी 12 प्रतिशत का योगदान करता है लेकिन उसका भी हिस्सा दो भागों में बंटा होता है। कुल मिलाकर यह पैसा आपके EPF अकाउंट में जमा होता रहता है और हर साल उस पर ब्याज भी मिलता है।
सरकार हर साल तय करती है ब्याज दर
EPF पर हर साल सरकार ब्याज दर घोषित करती है। वित्त वर्ष 2024 25 के लिए यह ब्याज दर 8.1 प्रतिशत रखी गई है। यह ब्याज हर महीने जमा राशि पर कैल्कुलेट किया जाता है लेकिन इसका भुगतान साल के अंत में होता है। यानी आपका पैसा हर महीने बढ़ता है लेकिन साल के अंत में पूरा ब्याज जोड़ दिया जाता है।
EPF का फंड कैसे बनता है 25 हजार सैलरी पर
अब हम बात करते हैं असली कैलकुलेशन की। मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी 25 हजार रुपये है और आपकी उम्र 30 साल है। आप 58 साल तक नौकरी करते हैं यानी कुल 28 साल का समय आपके पास है EPF में पैसा जमा करने का।
अब हर महीने आप अपनी सैलरी का 12 प्रतिशत यानी करीब 3000 रुपये EPF में जमा करते हैं। वहीं नियोक्ता का 12 प्रतिशत योगदान भी जुड़ता है जिसमें से 3.67 प्रतिशत EPF में जाता है और बाकी पेंशन फंड में।
अगर हर साल आपकी सैलरी में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है और ब्याज दर 8.1 प्रतिशत बनी रहती है, तो रिटायरमेंट तक आपका EPF फंड करीब 1.68 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
निवेश कुल 69.87 लाख और रिटर्न 1.68 करोड़
इस पूरे समय में आपकी जेब से और आपके नियोक्ता की तरफ से कुल मिलाकर करीब 69.87 लाख रुपये जमा होंगे। लेकिन आपको रिटायरमेंट के वक्त 1.68 करोड़ रुपये मिल सकते हैं जो कि एक बहुत बड़ी रकम है। यानी आपका पैसा लगभग ढाई गुना होकर वापस आएगा। यह रकम रिटायरमेंट के बाद आपके जीवन को आर्थिक रूप से सुरक्षित बना सकती है।
EPF में नियोक्ता का योगदान कैसे बंटता है
कई लोग यह सवाल पूछते हैं कि नियोक्ता का जो 12 प्रतिशत योगदान होता है वह पूरा EPF में क्यों नहीं आता। इसका जवाब यह है कि इस 12 प्रतिशत में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन स्कीम यानी EPS में चला जाता है और बाकी 3.67 प्रतिशत ही EPF में आता है। इस तरह से कर्मचारी का पूरा भविष्य सुरक्षित करने की कोशिश की जाती है जिसमें पेंशन और सेविंग दोनों शामिल हैं।
ब्याज की गणना कैसे होती है
अब बात करते हैं ब्याज की। EPF में मिलने वाला ब्याज हर महीने के बैलेंस के आधार पर कैल्कुलेट होता है लेकिन यह साल के अंत में जमा होता है। इसका मतलब है कि जितना ज्यादा आपका मासिक योगदान होगा और जितनी जल्दी आप इस स्कीम से जुड़ेंगे, उतना ही ज्यादा ब्याज आपको मिलेगा। ब्याज की गणना मासिक रनिंग बैलेंस को जोड़कर 8.1 को 1200 से डिवाइड करके की जाती है।
कौन लोग कर सकते हैं EPF में योगदान
EPF स्कीम खासतौर पर संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए है। अगर आपकी बेसिक सैलरी 15 हजार रुपये से कम है तो आपके लिए इस योजना में शामिल होना अनिवार्य है। लेकिन इससे ज्यादा सैलरी वालों के लिए यह ऑप्शनल होता है। फिर भी अगर आप भविष्य के लिए सुरक्षित निवेश की सोच रहे हैं तो यह योजना आपके लिए बेस्ट हो सकती है।
EPF के फायदे
EPF सिर्फ एक सेविंग स्कीम नहीं है बल्कि यह रिटायरमेंट की प्लानिंग का एक मजबूत आधार है। इसमें जमा राशि पर सरकार ब्याज देती है और यह पूरी तरह टैक्स फ्री होता है। इसके अलावा EPF का पैसा आप इमरजेंसी में निकाल भी सकते हैं जैसे घर बनवाने, मेडिकल इमरजेंसी या बच्चों की पढ़ाई के लिए।
अगर आप एक मध्यम वर्गीय नौकरीपेशा इंसान हैं और भविष्य के लिए फाइनेंशियली सुरक्षित रहना चाहते हैं तो EPF एक शानदार विकल्प है। केवल 25 हजार रुपये की सैलरी पर भी आप 1.68 करोड़ रुपये का फंड बना सकते हैं जो रिटायरमेंट के बाद आपके काम आएगा। जरूरत है तो बस शुरुआत करने की और नियमित निवेश करने की। जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना ज्यादा लाभ पाएंगे।