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स्लीपर यात्रियों के लिए बुरी खबर! अब आपकी वेटिंग टिकट का फैसला करेगा AI सिस्टम – Indian Railway New Update

Indian Railway New Update – भारतीय रेलवे हर दिन लाखों लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का काम करता है और जब बात आती है स्लीपर क्लास की तो यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला विकल्प है। हर बार जैसे ही त्योहार आता है या गर्मी की छुट्टियां शुरू होती हैं वैसे ही टिकट बुकिंग का झंझट शुरू हो जाता है। टिकट नहीं मिलते और ज्यादातर यात्रियों को वेटिंग टिकट से ही काम चलाना पड़ता है। अब इसी समस्या का समाधान लाने के लिए रेलवे ने एक नई पहल की है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की मदद ली जा रही है।

साल 2025 में रेलवे ने वेटिंग टिकट की बुकिंग प्रक्रिया में बड़ा बदलाव कर दिया है। पहले जहां टिकट बुकिंग पूरी तरह से पुराने सॉफ्टवेयर और मैन्युअल तरीके से होती थी वहीं अब यह काम AI की निगरानी में होगा। इससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि टिकट मिलने की संभावना भी काफी हद तक बढ़ जाएगी।

AI आधारित टिकट बुकिंग सिस्टम क्या है

AI Based Waiting Ticket Booking System एक नया तरीका है जिसमें कंप्यूटर और मशीन लर्निंग के जरिए यह तय किया जाएगा कि किसे टिकट मिलेगा और किसे वेटिंग में रखा जाएगा। यह सिस्टम यात्रियों की जानकारी, उनके यात्रा के पैटर्न, सीट की उपलब्धता और पुराने रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए टिकट बुक करेगा। इससे यह फायदा होगा कि टिकटों की बुकिंग ज्यादा पारदर्शी और तेज हो जाएगी और फर्जीवाड़ा करने वाले एजेंटों पर भी लगाम लग सकेगी।

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कैसे काम करेगा यह नया सिस्टम

अब जब आप IRCTC की वेबसाइट या रेलवे काउंटर से टिकट बुक कराएंगे तो सबसे पहले आपको अपनी यात्रा की तारीख, स्टेशन और क्लास की जानकारी देनी होगी। इसके बाद AI सिस्टम आपके डाटा को एनालाइज करेगा। अगर सीट खाली होगी तो टिकट तुरंत कंफर्म हो जाएगा और अगर सीट नहीं होगी तो आपको वेटिंग लिस्ट में रखा जाएगा। जैसे जैसे यात्रा की तारीख पास आएगी वैसे वैसे यह सिस्टम बार बार चेक करेगा कि कहीं कोई सीट खाली तो नहीं हो रही। अगर कोई सीट खाली होती है तो वह सीट वेटिंग लिस्ट वाले यात्री को अलॉट कर दी जाएगी। पूरी प्रक्रिया के दौरान आपको समय समय पर SMS या ईमेल के जरिए जानकारी मिलती रहेगी।

AI सिस्टम से क्या बदलाव आएंगे

इस नए सिस्टम से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि टिकट एलोकेशन में अब इंसानी गलती की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी। यह सिस्टम डायनामिक सीट एलोकेशन करेगा यानी रूट, तारीख, डिमांड और पिछले डाटा के आधार पर सीट अलॉट करेगा। साथ ही फर्जी बुकिंग और एजेंटों की धांधली पर भी लगाम लगेगी क्योंकि अब सीट बुकिंग का पूरा प्रोसेस AI के जरिए होगा।

AI सिस्टम के फायदे

AI सिस्टम से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि टिकट बुकिंग की प्रक्रिया तेज और सटीक हो जाएगी। पहले जहां एक टिकट कंफर्म होगा या नहीं यह तय कर पाना मुश्किल होता था अब AI सिस्टम के जरिए यह तुरंत पता चल जाएगा। यात्रियों को बार बार टिकट की स्थिति चेक नहीं करनी पड़ेगी। पारदर्शिता बढ़ेगी और हर किसी को यह भी पता चलेगा कि उसे टिकट क्यों नहीं मिला या वेटिंग में क्यों रखा गया। पुराने डाटा और ट्रैवल पैटर्न के आधार पर सीट एलोकेशन होगा जिससे कंफर्म टिकट मिलने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।

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AI सिस्टम के नुकसान भी हैं

जहां एक तरफ फायदे हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ चुनौतियां भी हैं। जैसे कि तकनीकी गड़बड़ियों की संभावना शुरू में बनी रहेगी। इसके अलावा हर किसी को मोबाइल और इंटरनेट की जानकारी नहीं होती जिससे डिजिटल डिवाइड की समस्या भी हो सकती है। साथ ही कई बार इंसानी समझ की जरूरत होती है जो AI सिस्टम में नहीं होती। नए सिस्टम को समझने में भी यात्रियों को शुरू में थोड़ी दिक्कत हो सकती है।

एजेंटों की भूमिका पर असर

इस सिस्टम के आने के बाद एजेंटों की भूमिका काफी हद तक खत्म हो जाएगी। पहले एजेंट फर्जी बुकिंग या ब्लॉकिंग के जरिए टिकट कब्जा कर लेते थे लेकिन अब ऐसा करना मुश्किल होगा। टिकट बुकिंग का पूरा कंट्रोल AI सिस्टम के पास होगा जिससे एजेंटों की धांधली बंद हो जाएगी। हालांकि अगर एजेंट खुद को अपडेट करें और तकनीक को अपनाएं तो वे भी इस सिस्टम का हिस्सा बन सकते हैं।

यात्रियों के लिए जरूरी सुझाव

अगर आप टिकट बुक करा रहे हैं तो अपनी जानकारी सही भरें ताकि AI सिस्टम आपकी सीट को सही ढंग से अलॉट कर सके। बुकिंग के बाद समय समय पर SMS या ईमेल जरूर चेक करते रहें। अगर किसी तरह की तकनीकी दिक्कत आती है तो रेलवे की हेल्पलाइन से संपर्क करें या नजदीकी स्टेशन जाकर जानकारी लें। यात्रा की तारीख और स्टेशन की जानकारी ध्यान से भरें।

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भारतीय रेलवे का यह AI आधारित टिकट बुकिंग सिस्टम यात्रियों के लिए एक बहुत बड़ा बदलाव है। इससे न सिर्फ बुकिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी बल्कि टिकट मिलने की संभावना भी बढ़ेगी। एजेंटों की धांधली खत्म होगी और यात्रियों को बार बार टिकट की स्थिति जानने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि शुरुआत में थोड़ी परेशानी जरूर हो सकती है लेकिन लंबे समय में यह सिस्टम यात्रियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।

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