LPG Price Hike – रसोई गैस की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी हो गई है और इस बार झटका है। अप्रैल 2025 की शुरुआत में ही सरकार ने घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम बढ़ाकर आम जनता की जेब पर और बोझ डाल दिया है। 21 अप्रैल 2025 से यह नई दरें लागू हुई हैं और अब हर कोई सोच रहा है कि घर का बजट आखिर कैसे मैनेज होगा।
हर महीने की तरह इस बार भी तेल कंपनियों ने कीमतों की समीक्षा की और फिर घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 50 रुपए का इजाफा कर दिया गया। इससे सिर्फ सामान्य उपभोक्ता ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर लेने वाले गरीब परिवार भी प्रभावित हुए हैं। चलिए अब विस्तार से समझते हैं कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई है, इसका असर क्या होगा और लोग इससे कैसे निपट सकते हैं।
कितना बढ़ा है एलपीजी का रेट और किस पर कितना असर
सरकार ने एलपीजी गैस सिलेंडर के दामों में ₹50 प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की है। चाहे आप उज्ज्वला योजना के लाभार्थी हों या फिर सामान्य उपभोक्ता, यह बढ़ोतरी सभी पर लागू हो चुकी है।
नई दरें कुछ इस प्रकार हैं
- उज्ज्वला योजना लाभार्थियों के लिए 14.2 किग्रा सिलेंडर का पुराना रेट ₹500 था जो अब ₹550 हो गया है
- सामान्य घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 14.2 किग्रा सिलेंडर का रेट ₹803 से बढ़कर ₹853 हो गया है
- कमर्शियल 19 किग्रा सिलेंडर का रेट अब ₹1740 से बढ़कर ₹1802 हो गया है यानी इसमें ₹62 की बढ़ोतरी हुई है
किन शहरों में कितनी कीमतें
बिलकुल, नीचे दिए गए जानकारी को बुलेट पॉइंट्स के रूप में अपडेट किया गया है जिससे पढ़ना और समझना और आसान हो जाएगा।
- दिल्ली में 14.2 किग्रा घरेलू सिलेंडर ₹853 का हो गया है
- हैदराबाद में घरेलू सिलेंडर की कीमत सबसे ज्यादा है
- कोलकाता में घरेलू सिलेंडर की कीमत लगभग ₹853 के आसपास है
- मुंबई में भी घरेलू सिलेंडर ₹853 के करीब मिल रहा है
- लखनऊ में घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत ₹853 के आसपास है
- कमर्शियल सिलेंडर (19 किग्रा) की कीमत अब सभी बड़े शहरों में ₹1800 के पार पहुंच चुकी है
बढ़ोतरी के पीछे क्या वजह है
अब सवाल उठता है कि हर बार एलपीजी गैस की कीमतें क्यों बढ़ाई जाती हैं तो इसके पीछे कई वजहें हैं जिनमें सबसे बड़ी वजह है अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी। इसके अलावा तेल कंपनियों को सब्सिडी के चलते जो नुकसान होता है उसे भी यह कंपनियां धीरे धीरे कवर करती हैं। सरकार भी हर दो से तीन हफ्ते में रेट की समीक्षा करती है और उसी के आधार पर नई दरें तय की जाती हैं। इसके साथ ही एक्साइज ड्यूटी में बदलाव भी इन कीमतों को प्रभावित करता है।
इससे होगा आम जनता पर क्या असर
अब ये 50 रुपए की बढ़ोतरी सुनने में भले ही कम लगे लेकिन साल भर में यह ₹600 तक का अतिरिक्त खर्च बढ़ा देती है जो मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए चिंता का कारण बन जाती है। वहीं गरीब तबके पर तो इसका और भी गहरा असर होता है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर लेने वाले परिवार पहले ही सीमित आय में गुजारा करते हैं और ऐसे में यह बढ़ोतरी उनके लिए बड़ा झटका है।
रसोई खर्च बढ़ा तो महंगाई का असर भी दिखेगा
एलपीजी गैस का सीधा संबंध खाने पीने की चीजों से है क्योंकि खाना बनाने में इसका उपयोग होता है। जब गैस महंगी होती है तो धीरे धीरे बाकी चीजों के दाम भी बढ़ने लगते हैं जैसे होटल रेस्टोरेंट में खाना महंगा होता है या फिर पैक्ड फूड की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। यानी असर सिर्फ सिलेंडर तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि पूरी महंगाई चेन पर असर डालता है।
क्या कोई राहत मिलेगी या बचाव का तरीका है
इस बढ़ोतरी से बचना तो फिलहाल संभव नहीं है क्योंकि यह सरकार की नीति और वैश्विक तेल बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है लेकिन कुछ घरेलू उपाय अपनाकर इस असर को थोड़ा कम जरूर किया जा सकता है जैसे
- खाना बनाते समय गैस की बचत करें
- प्रेशर कुकर और स्मार्ट कुकर जैसे गैजेट्स का उपयोग करें जो कम समय में खाना पकाते हैं
- कोशिश करें कि एक बार में ज्यादा मात्रा में खाना पका लें ताकि बार बार गैस जलाने से बचा जा सके
- अगर संभव हो तो पड़ोसियों के साथ गैस साझा करने की योजना बनाएं
- उज्ज्वला योजना और सब्सिडी योजनाओं की जानकारी लें और उनका लाभ उठाएं
बीते कुछ महीनों में हुए बदलाव की झलक
- दिसंबर 2024 में कमर्शियल सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी हुई थी
- मार्च 2025 में 19 किग्रा सिलेंडर में ₹6 की बढ़ोतरी हुई
- अप्रैल 2025 में घरेलू सिलेंडर में ₹50 की बढ़ोतरी हो गई
- सरकार हर दो तीन हफ्ते में रेट रिव्यू करती है और नई दरें लागू करती है
एलपीजी गैस के दाम बढ़ना एक ऐसा मुद्दा है जो हर घर को प्रभावित करता है क्योंकि यह रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा मामला है। चाहे आप गरीब हो या मध्यम वर्गीय या उच्च वर्गीय परिवार, यह खर्च आपकी जेब पर असर जरूर डालता है। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में सरकार और कंपनियों की मजबूरी भी समझनी होगी क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार चढ़ाव का सीधा असर इन कीमतों पर पड़ता है।
ऐसे में जरूरी है कि हम सब थोड़ा सचेत होकर गैस का उपयोग करें और जरूरत पड़ने पर सरकारी योजनाओं का लाभ लें। आने वाले समय में अगर कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता आती है तो उम्मीद है कि सरकार फिर से राहत दे सकती है। तब तक हमें अपने बजट में समझदारी से संतुलन बनाकर चलना होगा।