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अब नहीं लगाने पड़ेंगे कोर्ट के चक्कर , कोर्ट ने बताया कब्जा हटाने का सबसे आसान तरीका – Property New Rule

Property New Rule – अगर आपकी प्रॉपर्टी पर किसी ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा है और आप इसे छुड़वाने के लिए कोर्ट के लंबे चक्कर काटने से परेशान हैं, तो अब आपके लिए राहत की खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है, जिससे साफ हो गया है कि अब आप कुछ जरूरी शर्तों को पूरा करते हुए बिना कोर्ट गए भी अपनी जमीन या मकान से अवैध कब्जा हटवा सकते हैं।

कब्जा हटाना अब हुआ आसान

देश में प्रॉपर्टी की कीमतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं और इसी वजह से जमीन या मकान पर जबरन कब्जा करने के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं। कई बार ऐसा होता है कि कोई आपकी गैरमौजूदगी का फायदा उठाकर आपकी संपत्ति पर कब्जा कर लेता है और फिर आप सालों तक कोर्ट में केस करते रह जाते हैं। मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर आप उस प्रॉपर्टी के असली मालिक हैं, तो आपको कानून आपके हक को खुद से हासिल करने की इजाजत देता है।

कौन सा कानून देता है यह अधिकार?

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 की धारा 5 के आधार पर सुनाया है। इस कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति आपकी प्रॉपर्टी पर गैरकानूनी कब्जा कर लेता है और आप उस संपत्ति के मालिक हैं, तो आप अपनी प्रॉपर्टी को कब्जा मुक्त करा सकते हैं। हालांकि इसके लिए यह जरूरी है कि आपके पास संपत्ति के सभी कानूनी दस्तावेज, मसलन टाइटल डीड, रजिस्ट्री आदि मौजूद हों।

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पूना राम बनाम मोती राम मामला क्या था?

इस पूरे मामले की शुरुआत राजस्थान के बाड़मेर जिले से हुई, जहां पूना राम नाम के व्यक्ति ने एक जागीरदार से जमीन खरीदी थी। कुछ समय बाद जब जमीन की रजिस्ट्री और मालिकाना हक की जांच हुई, तो पता चला कि मोती राम नाम का व्यक्ति उस जमीन पर पहले से ही रह रहा था। मोती राम के पास कोई दस्तावेज नहीं थे लेकिन वह जमीन को अपना बताता रहा।

पूना राम ने पहले ट्रायल कोर्ट में मुकदमा दायर किया, जिसमें कोर्ट ने फैसला पूना राम के पक्ष में सुनाया और मोती राम को जमीन खाली करने को कहा। बाद में मोती राम ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां से मामला पलट गया और हाईकोर्ट ने मोती राम को कब्जा रखने की छूट दे दी।

लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। पूना राम ने यह केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दिया और अंत में सुप्रीम कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए कहा कि जमीन का असली मालिक यदि अपने कब्जे को वापस लेना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है, भले ही कब्जा 12 साल पुराना क्यों न हो।

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12 साल से अधिक कब्जा होने पर क्या होता है?

बहुत से लोग यह मानते हैं कि अगर किसी व्यक्ति ने किसी जमीन पर लगातार 12 साल तक कब्जा कर रखा हो और असली मालिक ने कोई दावा न किया हो, तो वह कब्जाधारी उस संपत्ति का कानूनी मालिक बन सकता है। यह बात आंशिक रूप से सही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह नियम तभी लागू होता है जब जमीन का कोई असली मालिक मौजूद न हो या उसका मालिकाना हक स्पष्ट न हो।

अगर जमीन के मालिक के पास वैध टाइटल है और वह अपनी संपत्ति की वापसी चाहता है, तो 12 साल बीतने के बाद भी वह उसे वापस पा सकता है। यानी यह कानून कब्जा करने वाले लोगों की नहीं, बल्कि असली मालिक की सुरक्षा के लिए है।

क्या बिना कोर्ट गए कब्जा छुड़वाना सही है?

सुप्रीम कोर्ट ने यह जरूर कहा है कि मालिक अपने अधिकार से अपनी जमीन वापस ले सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप जबरदस्ती या हिंसक तरीके से कब्जा हटाएं। जरूरी है कि आप पहले लोकल प्रशासन, पुलिस और अन्य कानूनी माध्यमों से सहयोग लें। यह एक तरह से आपके हक का इस्तेमाल है, न कि कानून को अपने हाथ में लेने की छूट।

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क्या करना होगा अगर दस्तावेज नहीं हैं?

अगर आपके पास प्रॉपर्टी के कागजात नहीं हैं और कब्जे को 12 साल से ज्यादा हो चुके हैं, तो आप सीधे कब्जा हटाने का दावा नहीं कर सकते। ऐसे में आपको सिविल कोर्ट में मामला दायर करना पड़ेगा। सिविल प्रक्रिया संहिता यानी CPC के तहत आप अपने अधिकार का दावा कर सकते हैं। कोर्ट आपके सबूतों के आधार पर निर्णय देगा।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए बेहद राहत देने वाला है जो सालों से अपनी जमीन या मकान पर जबरन कब्जे से परेशान हैं। अब अगर आपके पास संपत्ति के सारे कानूनी दस्तावेज हैं और आप उसके असली मालिक हैं, तो बिना कोर्ट के लंबे चक्कर लगाए भी अपनी संपत्ति को कब्जा मुक्त करा सकते हैं। हां, इसके लिए जरूरी है कि आप नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करें और कानून के दायरे में रहकर ही कोई भी कदम उठाएं।

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