Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने सुलझाया बड़ा विवाद, पति की संपत्ति में पत्नी का कितना हक? जानिए नया फैसला Wife Properly Rights

Wife Properly Rights – भारत में संपत्ति से जुड़े विवाद बहुत आम हैं। खासकर जब मामला पति-पत्नी के रिश्ते से जुड़ा हो, तो कई बार यह कानूनी झंझट बन जाता है। सवाल यह है कि क्या पत्नी को पति की संपत्ति पर पूरा हक मिलता है या नहीं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने केस पर सुनवाई करते हुए इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया और यह साफ किया कि महिलाओं के अधिकार क्या हैं और कहां तक सीमित हैं।

क्या था असली विवाद

ये मामला करीब साठ साल पुराना है। 1965 में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को जमीन का एक हिस्सा जीवनभर के लिए दिया था। इसमें यह शर्त रखी गई थी कि पत्नी की मृत्यु के बाद वह जमीन वापस उनके बच्चों के पास लौट जाएगी। कुछ सालों बाद पत्नी ने उस जमीन को खुद की मानकर किसी तीसरे को बेच दिया। अब सवाल ये उठा कि क्या वह इस जमीन की मालिक थी या सिर्फ एक सीमित उपयोगकर्ता।

निचली अदालत का रुख

इस मामले की सुनवाई पहले निचली अदालत में हुई। 1977 में अदालत ने पत्नी के पक्ष में फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत महिला को पूरी संपत्ति का अधिकार है। कोर्ट ने पहले आए एक मामले “तुलसम्मा बनाम शेष रेड्डी” का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई महिला संपत्ति को कानूनी रूप से हासिल करती है, तो वो उसकी पूरी मालकिन मानी जाएगी।

Also Read:
RBI Bank Nominee Rules बैंक खाते में नॉमिनी को लेकर RBI ने बदल दिया नियम अभी जान लो RBI New Rules

हाईकोर्ट की अलग राय

लेकिन इस फैसले को चुनौती दी गई और मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा। वहां कोर्ट ने एक और पुराने फैसले “कर्मी बनाम अमरु” को आधार बनाया। उसमें कहा गया था कि अगर संपत्ति देने के साथ कोई शर्त जुड़ी हो, तो उसे भी मानना जरूरी है। यानी अगर कोई वसीयत या दस्तावेज किसी तरह की सीमा तय करता है, तो महिला को उस सीमा के अंदर ही रहकर अधिकार मिलेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया

इस विवाद को लेकर दो अलग-अलग फैसले सामने आ चुके थे। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और इसे बड़ी बेंच के पास भेज दिया ताकि एक बार में साफ फैसला हो जाए। कोर्ट ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक परिवार या महिला का नहीं है, बल्कि इससे करोड़ों महिलाओं का भविष्य जुड़ा है।

हिंदू उत्तराधिकार कानून में क्या है

1956 में बना हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम महिलाओं को संपत्ति में बराबरी का हक देता है। इसकी धारा 14 में कहा गया है कि अगर कोई महिला किसी भी तरीके से संपत्ति हासिल करती है, तो वह उसकी पूरी मालकिन मानी जाएगी। लेकिन धारा 14 की दूसरी उपधारा कहती है कि अगर संपत्ति देने में कुछ शर्तें लगी हों, तो वह सीमित अधिकार की श्रेणी में आएगी। इसी विरोधाभास के चलते ये मामला उलझता चला गया।

Also Read:
18 महीने की DA की रकम पर आया बड़ा अपडेट – जानिए आपका कितना बनेगा पैसा DA Arrears Update

आज की तारीख में पत्नी के क्या अधिकार हैं

वर्तमान में अगर कोई पति अपनी पत्नी के नाम कोई संपत्ति करता है, तो वह उसे कानूनन पूरा अधिकार दे सकता है। लेकिन अगर वह कोई शर्त जोड़ता है, तो पत्नी का हक सीमित हो सकता है। अगर पति की मृत्यु हो जाती है और उसने कोई वसीयत नहीं बनाई, तो पत्नी को बेटे, बेटी और सास के साथ संपत्ति में बराबरी से हिस्सा मिलता है। यानी वह पूरी मालकिन नहीं बनती।

समाज में बदलते नजरिए का असर

समय के साथ अब कानून और समाज दोनों में बदलाव आया है। पहले जहां महिलाओं को संपत्ति पर सीमित हक मिलते थे, अब उन्हें बराबरी का दर्जा दिया जा रहा है। कोर्ट भी अब महिलाओं के पक्ष में ज्यादा संवेदनशील होकर फैसले दे रहा है।

वसीयत की भूमिका क्यों अहम है

अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को लेकर वसीयत लिखता है, तो उसमें जो भी शर्तें होती हैं, उन्हें कानून मानता है। इस केस में भी यह बात अहम थी कि क्या वसीयत या कानूनी दस्तावेज में लगाई गई शर्तें पत्नी के हक को कम कर सकती हैं या नहीं।

Also Read:
ATM यूजर्स की बढ़ी टेंशन – ATM ट्रांजैक्शन पर अब लगेगा एक्स्ट्रा चार्ज ATM Charge Hike

क्या बदलेगा इस फैसले से

अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के पास है और जल्द ही इस पर फैसला आ सकता है। ये फैसला सिर्फ कानूनी नजरिए से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम होगा। इससे भविष्य में ऐसे मामलों में उलझन नहीं होगी और महिलाओं को उनके अधिकारों की सही जानकारी मिलेगी। साथ ही यह महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

Leave a Comment